मुख पृष्ठ / Home       |       कविताएं / Poems        |        संपर्क / Contact
काल-चक्र और हम आज विश्व मुट्ठी में थामे, है जमा हुआ यथार्थवाद काल-चक्र के चलते चलते, फिर बढ़ेगा आदर्शवाद कैसा होगा आदर्शवाद, सब मानेंगे क्या आदर्श सहृदयता सहित इस पर लोग, कर सकेंगे विचार विमर्श - कालपाठी
साधन / Resources © kaalpathi.karmyogi.com